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महक
जीवन एक ऐसी रचना है जो सदा महकती रहती है। जिस प्रकार जीवन प्रारंभ से लेकर अन्त तक कई आकार और रुप बदलता रहता है, उसी प्रकार उसकी महक का आभास और प्रभाव बदलता रहता है। सत्य के अतिरिक्त इस सृष्टि में कुछ भी स्थायी नहीं। सत्य का रुप और आकार कभी नहीं बदलते। सत्य …
काव्य कलश
भक्त कलश में जल अथवा गंगाजल भर कर प्रभु की आराधना करने हेतु मंदिर में प्रवेश करता है. भक्त की भक्ति भावना से वो जल पावन हो जाता है. वो उस जल को अपने प्रभु की मूर्ति पर छिड़क कर, वंदना करके, प्रभु के नाम का उच्चारण करते हुए स्वयं पर भी छिड़क कर अपने …
सत्य की परछाईयां
सत्य की परछाईयां मेरे जीवन के कुछ प्रतिबिम्ब हैं. जैसे जैसे जीवन समय की लहरों पर आगे बढ़ता है, वैसे ही सत्य परछाई बनकर जीवन का अनुसरण करता रहता है. सत्य कभी नष्ट नहीं होता, सत्य की परछाई धुंधली पड़ सकती है. मानव की स्मरण शक्ति बीते हुए जीवन की कुछ घटनाओं को सदा संजोकर …