महक
जीवन एक ऐसी रचना है जो सदा महकती रहती है। जिस प्रकार जीवन प्रारंभ से लेकर अन्त तक कई आकार और रुप बदलता रहता है, उसी प्रकार उसकी महक का आभास और प्रभाव बदलता रहता है। सत्य के अतिरिक्त इस सृष्टि में कुछ भी स्थायी नहीं। सत्य का रुप और आकार कभी नहीं बदलते। सत्य …